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Pedal Washing Machine

पैडल वाशिंग मशीन मानव ऊर्जा का करती है उपयोग और बिजली की खपत भी नगण्य: डॉ. ढींडसा
जेसीडी मेमोरियल इंजीनियरिंग कॉलेज के स्टाफ सदस्यों द्वारा “पैडल वाशिंग मशीन” का निर्माण।

सिरसा 29-09-2023: जेसीडी विद्यापीठ में स्थापित जेसीडी मेमोरियल इंजीनियरिंग कॉलेज में मैकेनिकल विभाग के स्टाफ सदस्यों द्वारा पैडल वाशिंग मशीन का निर्माण किया गया है। इसके बारे में और अधिक जानकारी प्रदान करते हुए जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉ कुलदीप सिंह ढींडसा ने बताया कि यह मशीन साइकिलनुमा पैडल से चलाई जाती है जिससे बिजली की खपत नगण्य है और प्रयोग करने वाले का शारीरिक अभ्यास भी हो जाता है। इस वॉशिंग मशीन परियोजना का लक्ष्य एक ऐसी वॉशिंग मशीन का डिज़ाइन और निर्माण करना है जो मानव ऊर्जा का उपयोग करती है।

इसका एक और फायदा यह भी है कि पैडलिंग ऑपरेशन इंसान के लिए एक व्यायाम की तरह काम करता है। इसे चलाना आसान है, मशीन का कार्य सिद्धांत भी बहुत सरल है। सिलेंडर में कपड़ा डालें और सिलेंडर में आवश्यक पानी डालें। पैडलिंग सिस्टम को पैडल करना शुरू करें। जब पेडलिंग सिस्टम घूमना शुरू करेगा तो यह रैक और पिनियन व्यवस्था का उपयोग करके वॉशिंग ब्लेड को घुमाएगा। शाफ्ट को पिनियन से वेल्ड किया जाता है जो सिलेंडर पर लगा होता है। रैक और पिनियन व्यवस्था कपड़े धोने के संचालन के लिए आगे और पीछे की दिशा में घुमाव देगी। यह मशीन ग्रहणियों के लिए बहुत मददगार साबित होगी।

इस मशीन की कार्य प्रणाली के बारे में बताते हुए इंजीनियरिंग कॉलेज के मैकेनिकल विभाग के अध्यक्ष डॉ दिनेश कुमार ने कहा कि यह मशीन रैक एवं पिनियन प्रणाली पर आधारित है और इसकी क्षमता 5 किलोग्राम है।रैक और पिनियन गियर का उपयोग घूर्णी गति को स्थानान्तरी गति में, या स्थानान्तरी गति को घूर्णी गति में बदलने के लिए किया जाता है। इस व्यवस्था में एक वृत्ताकार गियर होता है, जिसे पिनियन कहते हैं और दूसरा रैखिक गियर होता है जिसे रैक कहते हैं। पिनियन को घूर्णी गति कराने पर (घुमाने पर) वह रैक को रैखिक गति कराता है। इसी प्रकार यदि रैक को रखिक गति करायी जाय तो वह पिनियन को घूर्णी गति कराएगा। रैक और पिनियन की व्यवस्था में दाँते या तो सीधे (अक्ष के समानान्तर) हो सकते हैं या सर्पिल हो सकते हैं। सर्पिल गियर अधिक लगाए जाते हैं क्योंकि काम करते समय उनसे कम आवाज आती है और उनकी लोड लेने की क्षमता भी अधिक होती है।

इस अवसर पर जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक डॉक्टर कुलदीप सिंह ढींडसा ने मैकेनिकल विभाग के स्टाफ सदस्यों की सराहना की और भविष्य में भी रोजमर्रा के कामों में प्रयोग होने वाले ऐसे उपकरणों के निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया। जेसीडी विद्यापीठ के रजिस्ट्रार डॉ सुधांशु गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री एसएल सैनी इंजीनियर आर एस बराड़ एवं जेसीडी इंजीनियरिंग कॉलेज के स्टाफ सदस्य इस अवसर पर उपस्थित थे। इस मशीन का निर्माण मैकेनिकल विभाग के सहायक प्रोफेसर इंजीनियर गंगा सिंह, टेक्नीशियन श्री चंद्रशेखर, सहायक श्री बलवान सिंह एवं अन्य स्टाफ सदस्यों के समन्वय द्वारा किया गया है।